डेविड के. बरलो ने सन् 1960 में अपना संचार प्रारूप प्रस्तुत किया, जो आचार संहिता विज्ञान पर आधारित है। बरलो का SMCR प्रारूप निम्न लिखित है :-
बरलो के प्रारूप में S-M-C-R का अर्थ है :-
S : Source (प्रेषक)
M : Message (संदेश)
C : Channel (माध्यम)
R : Receiver (प्रापक)
- प्रेषक (Source) : स्रोत एक व्यक्ति होता है। इसके प्रभाव को जानने के लिए व्यक्ति के गुणों को जानना जरूरी है। इसका विश्लेषण प्रेषक के संचार कौशल, व्यवहार, ज्ञान, समाज व्यवस्था व संस्कृति के आधार पर किया जा सकता है।
- संदेश (Message) : संदेश किसी भी भाषा या चित्र के माध्यम से दिया जा सकता है। प्रेषक संदेश की संरचना अपने तरीके से करता है। जैसे- भाषाई दृष्टि से हिन्दी, अंग्रेजी, फारसी इत्यादि तथा चित्रात्मक दृष्टि से फिल्म, फोटोग्राफ इत्यादि के रूप में। संदेश संरचना के बाद प्रेषक उसे अपने तरीके से सम्प्रेषित करता है, जिसका विश्लेेषण तत्व, अंतर्वस्तु, ढांचा, उपचार व कूट इत्यादि के स्तर पर किया जा सकता है।
- माध्यम ( Channel) : माध्यम की मदद से संदेश प्रापक तक पहुंचता है। संचार के दौरान प्रेषक द्वारा कई प्रकार के माध्यमों का उपयोग किया जा सकता है। प्रापक देखकर, सुनकर, स्पर्श कर, सुंघ कर तथा चखकर संदेश को ग्रहण कर सकता है।
- प्रापक (Receiver ) : संदेश को ग्रहण करने में प्रापक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यदि प्रापक की सोच सकारात्मक होती है तो संदेश अर्थपूर्ण होता है। इसके विपरीत, प्रेषक के प्रति नकारात्मक सोच होने की स्थिति में संदेश भी अस्पष्ट होता है।
बर्लोज के संचार प्रारूप में संचार प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है। यदि इसका विश्लेषण करें तो यह मुख्य रूप से संचार प्रक्रिया में मानवीय तत्व की भूमिका अथवा प्रक्रिया से जुड़ा है। यह भूमिका प्रेषक, संदेश, संचार माध्यम एवं प्रापक इत्यादि के रूप में जुड़ी हो सकती है। अत: बर्लोज का स्रूष्टक्र प्रारूप पूर्णता युक्त नहीं है।
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(यह चौथी सत्ता ब्लाग के मॉडरेट द्वारा लिखित पुस्तक- 'भारत में जनसंचार एवं पत्रकारिता' का संपादित अंश है। उक्त पुस्तक को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तक निर्माण योजना के अंतर्गत हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला ने प्रकाशित किया है। पुस्तक के लिए 0172-2566521 पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी तथा 7018381096 पर लेखक से सम्पर्क किया जा सकता है।)
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