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गुरुवार

संचार के प्रकार (Types of Communication)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     सितंबर 05, 2024    
       संचार मानव जीवन की बुनियादी जरूरतों में से एक है, जिसके न होने की स्थिति में मानव अधूरा होता है। अपने समाज में मानव कहीं संचारक के रूप में संदेश सम्प्रेषित करता है, तो कहीं प्रापक के रूप में संदेश ग्रहण करता है। संचार प्रक्रिया में संचारक शब्दिक संकेतों के रूप में उद्दीपकों को सम्प्रेषित कर प्रापक के व्यवहार को बदलने का प्रयास करता है। संचार केवल शाब्दिक नहीं होता है, बल्कि इसमें उन सभी क्रियाएं भी सम्मलित किया गया... Read More »

संचार की अवधारणा (Concept Of Communication)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 15, 2024    
संचार एक अनवरत प्रक्रिया है। इसकी उत्पत्ति पृथ्वी पर मानव सभ्यता के साथ हुई है। प्रारंभिक युग में मानव अपनी भाव-भंगिमाओं और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से संचार करता था, किन्तु आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी अनुसंधान के कारण संचार बुलन्दी पर पहुंच गया है। रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, टेलीफोन, मोबाइल, फैक्स, इंटरनेट, ई-मेल, वेब साइट्स, टेलीप्रिन्टर, इंटरकॉम, टेली-कान्फ्रेंसिंग, केबल, समाचार पत्र, पत्रिका इत्यादि संचार के अत्याधुनिक माध्यम हैं। संचार माध्यमों को अत्याधुनिक बनाने में युद्धों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। 20... Read More »

बुधवार

संचार के 7Cs (7Cs of Communication)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 14, 2024    
मानव जीवन की अनिवार्य आवश्कताओं में सबसे प्रमुख है- 'संचार'। इसके अभाव में मानव जीवन पशु समतुल्य होता है। मानव कभी घर के अंदर, तो कभी घर के बाहर, कभी कार्यालय में, तो कभी दुकान में, कभी बस स्टैण्ड में, तो कभी चलती ट्रेन में, कभी परिजनों के साथ, तो कभी सहकर्मियों के साथ, कभी ग्राहकों के साथ, तो कभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ, कभी मौखिक, तो कभी लिखित, कभी शब्दों में, तो कभी संकेतों में संचार करता है। संचार विशेषज्ञ 'फ्रांसिस बेटजिन' ने... Read More »

मंगलवार

शाब्दिक और अशाब्दिक संचार (Verbal and Non-Communication)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 13, 2024    
        संचार प्रक्रिया में शब्दों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके बगैर संदेश की संरचना और सम्प्रेषण संभव नहीं है। संदेश का सम्प्रेषण चाहे मौखिक हो या लिखित, दोनों ही परिस्थितियों में शब्दों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शब्दों के आविष्कार से पूर्व मानव प्रतिक चिन्हों तथा अपनी भाव-भंगिमाओं के माध्यम से संदेश सम्प्रेषण करता था। इस आधार पर संचार मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- पहला, शाब्दिक संचार और दूसरा, अशाब्दिक संचार। शाब्दिक संचार  (Verbal Communication)   शाब्दिक संचार की प्रक्रिया... Read More »

सोमवार

संचार प्रारूप (Communication Modal)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 12, 2024    
        पृथ्वी पर मानव सभ्यता के साथ जैसे-जैसे संचार प्रक्रिया का विकास होता गया, वैसे-वैसे संचार के प्रारूपों का भी। अत: संचार का अध्ययन प्रारूपों के अध्ययन के बगैर अधूरा माना जाता है। समाजिक विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, मनोविज्ञान, संचार शास्त्र, प्रबंध विज्ञान इत्यादि के अध्ययन, अध्यापन व अनुसंधान में प्रारूपों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। समाज वैज्ञानिकों व संचार विशेषज्ञों ने अपने-अपने समय के अनुसार संचार के विभिन्न प्रारूपों का प्रतिपादन किया है। सामान्य अर्थों में... Read More »

संचारक के तत्व (Elements of Communication)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 12, 2024    
संचार एक सतत् प्रक्रिया है जिसमें निम्न छ: तत्व एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए आपस में क्रिया-प्रतिक्रिया करते  हैं ।   (i)  संचारक (Communicator) : संचार प्रक्रिया में संचारक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यह प्रापक की समस्याओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप संदेश का निर्माण करता है। संचारक संदेश का स्रोत व निर्माता होता है। दूसरे शब्दों में, संचारक वह व्यक्ति होता है जो संचार प्रक्रिया की शुरूआत करता है। इसे कम्युनिकेटर, सेंडर, स्रोत, सम्प्रेषक, एनकोडर, संवादक इत्यादि नामों से जाना जाता है। सम्प्रेषित... Read More »

संचार प्रक्रिया (Communication Process)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 12, 2024    
आदिकाल में आज की तरह संचार माध्यम नहीं थे, तब भी मानव संचार करता था। वर्तमान युग में संचार माध्यमों की विविधता के कारण संचार प्रक्रिया में तेजी आ गयी है, लेकिन उसके सिद्धांतों में कोई परिवर्तन नहीं आया है। कहने का तात्पर्य यह है कि प्राचीन संचार माध्यमों और आधुनिक संचार माध्यमों में संचार प्रक्रिया का सैद्धांतिक स्वरूप एक जैसा ही है। सामान्यत: संचार पांच प्रक्रियाओं में सम्पन्न होता है, जो निम्नवत् है :-  पहली प्रक्रिया : संचार की पहली प्रक्रिया में मुख्यत: तीन... Read More »

शनिवार

फीडबैक (Feedback)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     नवंबर 02, 2013    
संचार प्रक्रिया में फीडबैक उस प्रतिक्रिया को कहते हैं, जिसे प्रापक अभिव्यक्त तथा संचारक ग्रहण करता है। सामान्यत: संचार प्रक्रिया प्रारंभ होते ही प्रापक अपने चेहरे, शारीरिक गति तथा हाव-भाव से प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगता है। जैसे- प्रापक का ध्यान केद्रीत होने से पता चलता है कि उसकी संदेश में दिलचस्पी है, चेहरे पर मुस्कुराहट होने से पता चलता है कि प्रापक संदेश में आत्म संतोष महसूस कर रहा है... इत्यादि। इस प्रकार फेस-टू-फेस अभिव्यक्त की जाने वाली प्रतिक्रिया का आधार अंत:वैयक्ति संचार... Read More »

संचार माध्यम (Communication Medium)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     नवंबर 02, 2013    
         संचार माध्यम को अंग्रेजी मे Communication Medium संचार माध्यम का प्रभाव समाज में अनादिकाल से ही रहा है। संचार माध्यम स्रोत एवं श्रोता के मध्य एक मध्य-स्थल दृश्य है जो मुख्यत: सूचना को संचारक से लेता है तथा प्रापक को देता है। प्रकृति के आधार पर संचार माध्यमों का वर्गीकरण निम्नलिखित है :-  परम्परागत माध्यम : संचार के परम्परागत माध्यम का उद्भव अनादिकाल में ही हो गया था। तब मानव संचार का अर्थ तक नहीं जानता था। सभ्यता के विकास से... Read More »

संचार मार्ग (Communication Channel)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     नवंबर 02, 2013    
            सूचना स्रोत (संचारक) और सूचना प्राप्त करने वाले (प्रापक) के बीच संचार मार्ग एक सेतू की तरह होता है, जिसकी सहायता से संचारक अपने संदेश को सम्प्रेषित करता है तथा प्रापक सम्प्रेषित संदेश को ग्रहण करता है। कहने का तात्पर्य है कि किसी स्रोत द्वारा सम्प्रेषित सूचना संचार मार्ग से होकर ही प्रापक तक पहुंचती है। सम्प्रेषित सूचना शाब्दिक और अशाब्दिक हो सकती है, जिसे क्रमश: बोलकर, लिखकर या अन्य मानव व्यवहारों (चित्रकारी, मूक अभिनय, शारीरिक मुद्रा इत्यादि)... Read More »

शैशन और वीवर का गणितीय संचार प्रारूप (Shannon and Weaver’s Mathetical Theory of Communication)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     नवंबर 02, 2013    
संचार के गणितीय प्रारूप का प्रतिपादन 1949 में अमेरिका के क्लाउड ई.शैशन और वारेन वीवर ने संयुक्त रूप से किया, जो मूलत: टेलीफोन द्वारा संदेश सम्प्रेषण की प्रक्रिया पर आधारित है। शैशन मूलत: गणितज्ञ व इलेक्ट्रानिक इंजीनियर थे, जिनकी दिलचस्पी संचार शोध के क्षेत्र में थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित वेल टेलीफोन लेबोरेट्री में अङ्गिन नियंत्रक तथा क्रिप्टोग्राफर के पद की जिम्मेदारियों को संभालने वाले क्लाउड ई.शैशन ने पहली बार 1948 में टेलीफोन संचार प्रक्रिया को प्रारूप के... Read More »

नियामक सिद्धांत (Normative Theories)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     नवंबर 02, 2013    
        समाज की अपनी सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था होती है। कुछ नियम व आदर्श होते हैं। इसी व्यवस्था के तहत नियम व आदर्श को ध्यान में रखकर संचार माध्यमों को अपना कार्य करना पड़ता है। संचार माध्यमों के प्रभाव से सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था न केवल प्रभावित, बल्कि परिवर्तित भी होती है। यहीं कारण है कि संचार विशेषज्ञ सदैव यह जानने के लिए प्रयासरत रहते है कि समाज का सामाजिक व राजनैतिक परिवरेश कैसा है? किसी देश व समाज के... Read More »

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