सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) की मौजूदा शताब्दी में न्यू मीडिया की सहायता से विचारों, भावनाओं, जानकारियों व अनुभूतियों का बगैर सेंसरशिप के अत्यंत तीब्र गति से सम्प्रेषण हो रहा है। इसकी सर्वप्रथम परिकल्पना 19वीं शताब्दी में ’लोकतंत्रिक सहभागी मीडिया सिद्धांत’ के प्रतिपादक जर्मनी के मैकवेल ने की थी। हालांकि, उस वक्त दुनिया में इंटरनेट का आविष्कार नहीं हुआ था, लेकिन जर्मनी में लोकतंत्र का शुभारंभ जरूर हो चुका था। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोक प्रसारण अर्थात सर्वाजनिक प्रसारण के अंतर्गत समाज के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक समेत विभिन्न क्षेत्रों में उच्च स्तरीय सुधार की अपेक्षा की गई थी, जिसे सार्वजनिक प्रसारण संगठनों ने पूरा नहीं किया। इसका मुख्य कारण मीडिया पर औद्योगिक घरानों का नियंत्रण, औद्योगिक घरानों का शासन-प्रशासन के साथ निकट सम्बन्ध, आर्थिक व सामाजिक दबाव तथा अभिजातपूर्ण व्यवहार था। ऐसी स्थिति में मैकवेल ने जनता की आवाज को सामने लाने के लिए वैकल्पिक मीडिया अर्थात न्यू मीडिया की परिकल्पना की।
19वीं शताब्दी के मध्य में न्यू मीडिया के रूप में अवतरित टेलीविजन ने संचार विशेषज्ञों को आश्चर्य चकित कर दिया। टोरंटो स्थित ’मीडिया स्टडीज सेंटर’ के संस्थापक मार्शल मैकलुहान ने 20वीं शताब्दी के मध्य में ’समाज पर टेलीविजन का प्रभाव’ विषयक अध्ययन किया तथा सन् 1964 में ’अंडरस्टैडिंग मीडिया: द एक्सटेंशन ऑफ मैन’ शीर्षक से पुस्तक प्रकाशित की। इनका मानना है कि संदेशों के प्रचार-प्रसार के लिए माध्यमों का विकास व विस्तार होना बेहद जरूरी है, क्योंकि संचार माध्यमों के विकास व विस्तार के साथ संदेश का प्रचार व प्रसार भी होगा। इसी आधार पर उन्होंने कहा कि ’माध्यम ही संदेश है’ (Medium is the Message) है।
मार्शल मैकलुहान ने टेलीविजन को प्रचार-प्रसार का उन्मादी माध्यम बताया है। इन्होंने रेडियो को ‘ट्रइबल ड्रम‘ (Tribal Dram)] फोटो को दीवार रहित वैश्यालय (Brothel-without Walls) तथा टेलीविजन को यांत्रिक दुल्हन (Mechanical Bride) की संज्ञा दी है तथा वैश्विक गांव (Global Village) की परिकल्पना की है। जिसको तत्कालीक संचार विशेषज्ञों ने 'गप' कहकर मजाक उड़ाया। न्यू मीडिया के रूप में अवतरित टेलीविजन वर्तमान शताब्दी में लाभ-हानि के सिद्धांत पर औद्योगिक घरानों द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसमें कार्यरत संपादक, समाचार वाचक, स्क्रीप्ट लेखक, संवाददाता, कैमरामैन व तकनीकी सहायक अपने नियोक्ता के इशारों पर गेट-कीपर का कार्य कर रहे हैं। शासन-प्रशासन को संचालित करने वाले राजनीतिज्ञ तथा सरकारी संगठनों में तैनात वरिष्ठ अधिकारी अपने-अपने तरीके से औद्योगिक घरानों को नियंत्रित करते हैं। विज्ञापनदाता भी अपने हित के लिए टेलीविजन चैनलों की विषय वस्तु को प्रभावित करते हैं। परिणामतः टेलीविजन चैनलों की विषय वस्तु आम जनों पर केंद्रीत नहीं होती है। यदि होती भी है तो उसमें प्रभावशाली व्यक्तियों का हित छुपा होता है। अतः टेलीविजन चैनल मैकवेल के न्यू मीडिया की परिकल्पना पर खरा नहीं उतरा है।
शीत युद्धोंपरांत अवतरित इंटरनेट आधारित न्यू मीडिया किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि वर्तमान शताब्दी में इसका उपयोग कर किसी सूचना या जानकारी को पलक झपकते ही दुनिया के किसी भी कोने में सम्प्रेषित किया जा सकता है। ताजातरीन समाचारों व जानकारियों को प्राप्त करने के लिए समाचार पत्र प्रकाशित होने का इंतजार करने की आवश्यकता भी नहीं है, जो न्यू मीडिया के कारण संभव हुआ है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि ...आखिर न्यू मीडिया किसे कहते हैं तथा 21वीं शताब्दी में क्यों प्रासंगिक है?
न्यू मीडिया : अधिकांश लोग न्यू मीडिया का अर्थ इंटरनेट आधारित पत्रकारिता से लगाते हैं, लेकिन न्यू मीडिया समाचारों, लेखों, सृजनात्क लेखन या पत्रकारिता तक सीमित नहीं है। वास्तव में न्यू मीडिया को परम्परागत मीडिया के आधार पर परिभाषित ही नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसके दायरे में मात्र समाचार पत्रों व टेलीविजन चैनलों की वेबसाइट्स मात्र नहीं आती हैं, बल्कि नौकरी ढूढ़ने व रिश्ता तलाशने वाली वेबसाइट्स, विभिन्न उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री करने वाले वेब पोर्टल्स, स्कूलों, कालेजों व विश्वविद्यालयों में प्रवेश, पाठ्य-सामग्री, परीक्षा-परिणाम से सम्बन्धित जानकारी देने वाली वेबसाइट्स, ब्लॉग्स, ई-मेल, ई-नीलामी, ई-पुस्तक, ई-कॉमर्स, ई-बैंकिंग, चैटिंग, ऑडियो-वीडियो शेयरिंग, यू-ट्यूब तथा सोशल नेटवर्किंग साइट्स (फेसबुक, ऑरकूट, ट्वीटर, लिक्ड-इन इत्यादि) से सम्बन्धित वेबसाइट्स व साफ्टवेयर भी न्यू मीडिया के अंतर्गत आते हैं।
शाब्दिक दृष्टि से न्यू मीडिया अंग्रेजी भाषा के दो शब्दों New और Media के योग से बना है। New शब्द का अर्थ ’नया’ अर्थात ’नवीन’ तथा Media शब्द का अर्थ ’माध्यम’ होता है। इस दृष्टि से न्यू मीडिया अपने समय का सर्वाधिक नवीन माध्यम है। न्यू मीडिया का वर्तमान काल में जैसा स्वरूप है, वह न तो अतीत (भूत) काल में था और न तो भविष्यकाल में रहेगा, क्योंकि प्रारंभ में जब टेलीविजन आया था, तब उसे भी न्यू मीडिया कहा गया था। संचार व मीडिया विशेषज्ञों ने न्यू मीडिया को अपने-अपने तरीके से परिभाषित करने का प्रयास किया है। कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं:-
- लेव मैनोविच के अनुसार- न्यू मीडिया डिजिटल तकनीकों पर आधारित है, जो मॉड्यूलर डेटा, स्वचालन, और परिवर्तनशीलता (Variability) की विशेषताओं के साथ सूचना का उत्पादन और प्रसार करता है।
- मैनुएल कास्टेल्स के अनुसार- न्यू मीडिया एक नेटवर्क समाज का हिस्सा है, जो विकेंद्रित संचार और सूचना के वैश्विक प्रवाह को सक्षम बनाता है।
- हेनरी जेनकिन्स के अनुसार- न्यू मीडिया ‘कन्वर्जेन्स कल्चर’ को दर्शाता है, जहां विभिन्न मीडिया रूप (टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो) एक मंच पर एकीकृत होकर इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करते हैं।
- क्ले शिर्की के अनुसार- न्यू मीडिया उपयोगकर्ता-जनित सामग्री और सामाजिक उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्तियों को सामग्री निर्माण और साझाकरण में सक्रिय भूमिका मिलती है।
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर संक्षेप में कहा जा सकता है कि न्यू मीडिया से तात्पर्य उन डिजिटल और इंटरनेट आधारित संचार माध्यमों से है, जो परंपरागत मीडिया (जैसे प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन) से भिन्न हैं। यह इंटरैक्टिव, उपयोगकर्ता-केंद्रित, और प्रौद्योगिकी-संचालित होता है, जो सूचना के उत्पादन, वितरण और उपभोग को नया रूप देता है