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मंगलवार

5W & 1H (छः करार)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     सितंबर 10, 2024    

 प्रसिद्ध पत्रकार रूडियर्ड किपलिंग ने समाचार लेखन के लिए सर्वप्रथम 5W & 1H भ्थ्योरी प्रस्तुत किया, जिसे हिन्दी भाषा में छः करार कहा जाता है।

 

5W & 1H भ्से तात्पर्य है:-

  • 1 W - What (क्या)
  • 2W - Where (कहां)
  • 3W - When  (कब)
  • 4W - Who    (कौन)
  • 5W - Why   (क्यों)
  • 1H - How  (कैसे)

किललिंग के अनुसार एक आदर्श समाचार में 5W & 1H भ्होना चाहिए। अर्थात समाचार में दी गई जानकारी what, where, when, who, why and how के क्रम में सूचना होनी चाहिए। हिन्दी में इसे छह ककार - क्या, कहां, कब, कैसे, क्यों और कौन कहते हैं। इनमें शुरू के चार what, where, when, who सूचनात्मक है, जबकि आखिरी के दो Why & How वर्णात्मक।

अनुभवी संवाददाता समाचार संकलन के करते समय 5W & 1H को ध्यान में रखता है। इसी के आधार पर समाचार का संकलन व लेखन का कार्य करता है। उप संपादक के लिए 5W & 1H थ्योरी महत्वपूर्ण है। इसी आधार पर वह संवाददाता द्वारा प्रेषित समाचार को संपादित करता है। समाचार के पहले अनुच्छेद अर्थात इण्ट्रों में 5W & 1H भ्से उठने वाले सवालों के उत्तर कम से कम शब्दों में लिखें जाते हैं। इस क्रम में क्या का उत्तर सबसे पहले लिखा जाता है और कैसा का सबसे अंत में। कई बार पेज पर स्थान का अभाव होने की स्थिति में उप संपादक केवल पहले अनुच्छेद को ही प्रकाशित कर पाता है, जिससे पाठकों को कम से कम शब्दों में सम्पूर्ण समाचार मिल जाता है।


सोमवार

समाचार के स्रोत (Sources of News)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     सितंबर 09, 2024    

 समाचार के स्रोत उन व्यक्तियों या स्थानों को कहते होते हैं, जो समाचार संकलन में संवाददाता की मदद करते हैं या जहां से समाचार मिलते हैं या मिलने की संभावना होती है। राजनीतिज्ञ, विशिष्ट व्यक्ति, पुलिस स्टेशन, पुलिस कंट्रोल रूम, फायर ब्रिगेड, अदालत, अस्पताल, पोस्टमार्टम हाउस, विकास प्राधिकरण, नगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, स्कूल-कालेज, खेल मैदान, मंडी, कचहरी, विकास भवन, संसद, विधानसभा, विधान परिषद, सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के कार्यालय इत्यादि समाचार के प्रमुख स्रोत हैं।

उपरोक्त के पास सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के समाचार होते हैं। सकारात्मक समाचार उसे कहते हैं, जिसके प्रकाशित/प्रसारित होने से सम्बन्धित विभाग, संगठन या व्यक्ति की सरकार और जनता के बीच अच्छी छवि बनती है। ऐसे समाचारों को विभागाध्यक्ष या सम्बन्धित व्यक्ति स्वयं संवाददाताओं को उपलब्ध कराता है। इसके विपरीत, नकारात्मक समाचार उसे कहते हैं, जिसमें सच्चाई होने के कारण अधिकतम पाठकों/दर्शकों की दिलचस्पी होती है, लेकिन उसे प्रकाशित/प्रसारित करने के लिए विभागाध्यक्ष या सम्बन्धित व्यक्ति उपलब्ध नहीं कराता है। ऐसे समाचारों के प्रकाशित/प्रसारित होने से जहां सम्बन्धित विभाग, संगठन या व्यक्ति को जांच व दण्ड का सामना करना पड़ता है। वहीं उसे प्रकाशित/प्रसारित करने वाले संवाददाता और समाचार पत्र/टीवी चौनल को नई पहचान मिलती है। नकारात्मक समाचार को खोजपरख समाचार भी कहते हैं, जिसके सूत्रधार स्रोत होते हैं। समाचार के स्रोतों का वर्गीकरण निम्न आधारों पर किया जा सकता है।

  1. प्रत्याशित स्रोत: जहां से नियमित, विश्वसनीय और सहज तरीके से समाचार प्राप्त होते हैं। जैसे- हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, चोरी, फिरौती व अन्य अपराध से सम्बन्धित समाचार पुलिस स्टेशन से। दुर्घटना व गंभीर बीमारियों के समाचार अस्पताल से। इसके अतिरिक्त नगर परिषद व नगर निगम की बैठकें, संसद व विधानसभाओं के अधिवेशन, प्रेस प्रतिनिधि सम्मेलन, भेंटवार्ता, राजनीतिक दलों का सम्मेलन, सार्वजनिक वक्तव्य, सरकारी घोषणा, प्रेस विज्ञप्ति, सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं का सम्मेलन, जांच आयोग की बैठक इत्यादि प्रत्याशित स्रोत हैं। 
  2. पूर्वानुमानित स्रोत: वह समाचार जिनका पूर्वानुमान लगाकर संवाददाता सम्बन्धित स्रोत से सम्पर्क करता है। इसके अंतर्गत् संभावना के आधार पर तथ्यों को एकत्र किया जाता है। कई बार संभावना सत्य निकल जाती है, जिससे समाचार की सार्थकता अपने आप बढ़ जाती है। उदाहरणार्थ, सडक पर प्रकाश व्यवस्था के लिए नगर परिषद और ग्राम पंचायत ने अपने-अपने कार्य क्षेत्र में सोडियम लाइट लगाया। संवाददाता ने अनुमान लगाया कि सोडियम लाइटें एक ही कम्पनी की होगी तो उनकी कीमत भी समान होगी, यदि अंतर होगा तो समाचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। संवाददाता की जांच-पड़ताल में सोडियम लाइटें एक ही कम्पनी की होती हैं, किन्तु दोनांे की कीमत में कई गुना का अंतर मिलता है। इस आधार पर वह दूसरे दिन खबर प्रकाशित कर सकता है-  नगर परिषद में 15 लाख का सोडियम लाइट घोटाला। 
  3. अप्रत्याशित स्रोत: जिस समाचार का संवाददाता को जरा भी अनुमान न हो और वह अचानक मिल जाये, तो उसे अप्रत्याशित स्रोत पर आधारित समाचार कहते हैं। ऐसे  समाचारों का सुराग पाने के लिए संवाददाता का अनुभव काम आता है। अनुभवी संवाददाता अपने सम्पर्क सूत्र के माध्यम से बड़े ही आसानी से समाचार का पूरा विवरण पता कर लेते हैं। राजीव गांधी को सत्ता से उतारने वाला बोफोर्स तोफ खरीद प्रकरण का समाचार अप्रत्याशित स्रोत का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है। एक विदेशी रेडियो चौनल को सुनकर संवाददाताओं ने बोफोर्स तोफ खरीद प्रकरण की जांच-पड़ताल शुरू की तो उसके अंदर दलाली में मोटी रकम खाने का खुलासा हुआ, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर का समाचार बना। यह समाचार प्रकाशित होने से जहां विपक्ष ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का तख्त पलट दिया, वहीं आम चुनाव में अप्रत्याशित सीटें जीतने के कारण विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री बनें। 

संवाददाता को समाचार संकलन के लिए जैसे ही कोई बीट मिलती है, वैसे ही उसे अपने बीट से सम्बन्धित पूरी जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिये। इसके बाद उससे सम्बन्धित विशिष्ट लोगों, राजनीतिज्ञों, अधिकारियों, विभिन्न जातियों व समुदायों के प्रमुखों से सम्पर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अध्यापकों, वकीलों, चिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों आदि से भी निकट सम्बन्ध रखना चाहिए। उपरोक्त सभी व्यक्ति किसी न किसी समाचार के स्रोत हो सकते हैं। कई बार अन्यत्र स्रोतों से प्राप्त समाचारों के संबंध में भी विशेषज्ञों या राजनीतिज्ञों के राय को अवश्य लेना चाहिये। इससे सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आती है।


मंगलवार

समाचार मूल्य (News Values)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     सितंबर 03, 2024    

समाचार मूल्य से तात्पर्य- समाचार के महत्व से है, जिसके चलते उसे गरिमा व मान्यता मिलती है। समाचार के संदर्भ में विभिन्न तत्वों की चर्चा की जाती है। समाचार मूल्य को पहचानना या मापना समाचार बोध कहलाता है। इसी आधार पर संवाददाता समाचार और अ-समाचार में अंतर करता है। 

संवाददाताओं व उप संपादकों में समाचार बोध विकसित करने वाले निम्नलिखित समाचार मूल्य हैं:-

1. परिवर्तन: परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जो कल था आज नहीं है, जो आज जैसा है, वो कल वैसा नहीं रहेगा। यहीं परिवर्तन है। प्रत्येक घटना के मूल में परिवर्तन ही होता है। स्थिति का बदलाव या गत्यात्मक होना भी परिवर्तन की श्रेणी में आता है। परिवर्तन हर क्षण होता रहता है। इस परिवर्तन से मनुष्य प्रभावित होता है। परिवर्तन जितना बड़ा होगा, समाचार की दृष्टि से उतना ही अधिक मूल्यवान होगा। अतः परिवर्तन एक महत्वपूर्ण समाचार मूल्य है।

2. संघर्ष या तनाव: संघर्ष या टकराव प्रायः किसी न किसी परिवर्तन को जन्म देता है। टकराव दो शक्तियों, समुदायों या सम्प्रदायों अथवा देशों में हो सकता है। यहां तक की दो विचारधाराओं में भी टकराव या संघर्ष की संभवना होती है। संघर्ष वास्तव में हो चुका हो या होने की संभावना हो। दोनों ही परिस्थितियों में समाचार की दृिष्ट से मूल्यवान है। युद्ध या युद्ध की चेतावनी भी समाचार की दृष्टि से मूल्यवान है। इसी प्रकार, हड़ताल, धरना-प्रदर्शन आदि के दौरान संघर्ष या तनाव में समाचार मूल्य होता है।

3. दुर्घटना या आपदा: दुर्घटना चाहे जैसी भी हो- सडक, बस या वायुयान। इसी प्रकार प्राकृतिक आपदा चाहे जैसा भी हो- भूकंम्प, तूफान, बाढ़, सूखा इत्यादि, सभी अपने साथ अनर्थ को लेकर आती हैं। इनका प्रभाव कम या अधिक हो सकता है, लेकिन इनसे मनुष्य प्रभावित होता है। अतः दुर्घटना या आपदा के प्रभाव में समाचार मूल्य होते हैं। 

4. प्रगति: प्रगति भी एक समाचार मूल्य है, क्योंकि यह समाज द्वारा किए गए प्रयत्नों का सकारात्मक परिणाम होता है। मानव के लिए प्रगति अनिवार्य है। इससे जीवन में गुणवत्ता आती है। प्रगति के लिए मानव को दिन-रात परिश्रम करना पड़ता है। इस दौरान कई प्रकार के अवरोध भी आते हैं। इन अवरोधों से संघर्ष करने वाले ही प्रगति के पथ पर अग्रसर होते हैं। यदि अवरोधों के साथ संघर्ष लम्बा चले तथा काफी परिश्रम के बाद प्रगति मिलें, तो वह समाचार की दृष्टि से मूल्यवान होता है।   

5. प्रतिष्ठा या विशिष्ठता: किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति का किसी घटना से जुडना, उलझन या लपेटे में आना, उस घटना का समाचार मूल्य बन जाता है। प्रतिष्ठित व्यक्ति का समाज में जितनी प्रतिष्ठा या विशिष्ठता होती है, उसी अनुपात में समाचार मूल्य भी होता है। प्रतिष्ठित व्यक्ति किसी समस्या के बाबत कुछ कहता है तो उसका कथन समाचार मूल्य बन जाता है, जबकि उसी वक्तव्य को आम आदमी कहता है तो नहीं। आम आदमी को प्रतिष्ठित या विशिष्ठ बनाने का कार्य मीडिया करती है। कई बार आम आदमी अपने कृत्यों के कारण प्रतिष्ठित या विशिष्ठ बन जाता है। उदाहरणार्थ, अन्ना हजारे व अरविन्द केजरीवाल। दोनों ने मिलकर जन लोकपाल बिल के समर्थन में केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। सन् 2011 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया। बाद में दोनों ने अलग-अलग राह पकड़ ली, लेकिन दोनों ने जब भी कोई वक्तव्य दिया, वह समाचार की दृष्टि से मूल्यवान होता था।  

6. आत्मीयता अथवा सामीप्य: निकटस्थ की घटना दूरस्थ की घटना से अधिक मूल्यवान होती है। मानव उस घटना के समाचार में अधिक आत्मीयता महसूस करता है, जो उससे या उसके समाज के लोगों से सम्बन्धित होता है। मनुष्य की ऐसी प्रवृत्ति है कि वह पहले अपने बारे में सोचता है, फिर अपने पास-पड़ोस के बारे में। इस आत्मीयता के आधार पर समाचार मूल्य उत्पन्न होता है। उदाहरणार्थ, यदि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के छात्र अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करते हैं, तो पंजाब विश्वविद्यालय चंड़ीगढ़ के छात्रों के लिए इस समाचार का कोई महत्व नहीं है। अर्थात् यह समाचार केवल शिमला की जनता, छात्र व सरकार की दृष्टि से मूल्यवान है। 

7. मानवीय पक्ष या मानवीय अभिरूचि: समाचार मानव मात्र के लिए होता है। अतः प्रत्येक समाचार में मानवीय पक्ष या मानवीय अभिरूचि का होना बेहद जरूरी है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि समाचार, मानव के लिए, मानव के बारे में, मानव के द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी है, अर्थात् समाचार में सभी बातें मानव मात्र के लिए होती हैं, लेकिन समाचार मूल्य किसी घटना के संवेदनशील प्रसंग से जुड़ा होता है। हर प्रसंग हर मनुष्य को पसंद नहीं आता है, क्योंकि हर मनुष्य की अभिरूचि अलग-अलग होती है। किसी कि अभिरूचि साहित्य या राजनीति के समाचार में होती है, तो किसी कि अपराध या खेल के समाचार में। इसी प्रकार, किसी की विज्ञान, व्यापार, विकास के समाचार में। हर व्यक्ति समाचार मूल्य के रूप में मानवीय अनुभवों में शरीक होना चाहता है। अपने अनुभवों को बाटना चाहता है। अतः समाचार में मानवीय पक्ष या मानवीय अभिरूचि समाचार मूल्य के रूप में विद्यमान होता है।

8. सामयिकता: यह भी एक आधारभूत समाचार मूल्य है। पुराने समाचार में कोई समाचार मूल्य नहीं होता है। चूंकि दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन २४ घंटे बाद होता है, टेलीविजन पर पल-पल खबरें प्रसारित होती रहती है। सामयिकता के समाचार मूल्य के कारण ही समाचारों के प्रति पाठकोध्दर्शकों की अभिरूचि बनी रहती है। विलम्ब से प्रकाशित या प्रसारित समाचार निर्रथक होता है। इसलिए समाचार को जितनी जल्दी हो सके पाठकोध्दर्शकों के समक्ष पहुंचा देना चाहिए। 

9. परिणाम: किसी घटना के तत्कालिक या दूरगामी परिणाम से समाचार का निर्माण होता है। दूरगामी और बड़े परिणामों में अधिकांश लोगों की अभिरूचि होती है, अर्थात् सभी परिणाम अपने आप में समाचार मूल्य होते हैं। उदाहरणार्थ, क्रिकेट मैच का परिणाम, चुनाव का परिणाम, परीक्षा का परिणाम इत्यादि। 

10. कारण: प्रत्येक घटना के पीछे कोई न कोई कारण होता है। घटना का कारण जितना बड़ा होता है, उसमें समाचार मूल्य भी उतना ही अधिक होता है। कई बार घटना के कारण का पता तुरंत चल जाता है, कई बार विलम्ब से पता चलता है। कई बार बड़ी घटना के पीछे छोटा कारण होता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि कारण छोटा होने से समाचार मूल्य भी छोटा होगा। कई बार एक घटना के पीछे कई कारण होते हैं, जिनका क्रमशः पता चलता है। जैसे-जैसे घटना के कारण का पता चलता है, वैसे-वैसे समाचार मूल्य भी घटता-बढ़ता रहता है। 

इन समाचार मूल्यों के आधार पर ही समाचार के महत्व को संवाददाता, उप संपादक, समाचार संपादक तथा संपादक समझते हैं तथा उसके प्रकाशन या प्रसारण को सुनिश्चित करते हैं।  


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