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रविवार

विज्ञापन अभियान (Advertising Campaign)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     सितंबर 08, 2024    

विज्ञापन अभियान एक समयबद्ध व चरणबद्ध प्रक्रिया है, जिसमें विज्ञापन की संभावनाएं, बाजार विश्लेषण, विज्ञापन लक्ष्य, विज्ञापन बजट, माध्यम चयन, विज्ञापन निर्माण, विज्ञापन प्रसार व मूल्यांकन को सम्मलित किया जाता है, जिनका एक मात्र लक्ष्य/उद्देश्य वस्तु की बिक्री बढ़ाना है। सभी कार्यक्रम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, जो एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। यदि इनमें से एक हिस्सा भी विज्ञापन अभियान के अनुसार कार्य नहीं करता है तो सम्पूर्ण अभियान नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। विज्ञापन अभियान में लक्ष्य बहुत विस्तृत होता है, जो किसी भी उत्पाद की प्राथमिक माँग बढ़ाने और उत्पाद के ब्राण्ड की छवि बनाने के लिए हो सकता हैं। इसमें उत्पाद से सम्बन्धित सूचनाओं या संदेश को प्रभावी तरीके से उपभोक्ताओं तक एक अभियान के रूप में पहुँचाया जाता है। एस. डब्ल्यू. डुन और ए.एम. बारबन के अनुसार- विज्ञापन अभियान सम्प्रेषण और मार्केटिंग की परिस्थितियों के अन्वेषण पर आधारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न माध्यमों द्वारा विज्ञापन श्रृंखला जारी करना है। 


जी.एम. रेगे (G.M. Rage) के अनुसार-विज्ञापन अभियान के लिए तीन मूलभूत सिद्धान्त हैं:-

  1. प्रभाविता (Dominance), 
  2. एकाग्रता (Concentration),और
  3. दोहराव (Repetation)।

1. प्रभाविता (Dominance) : विज्ञापन का संदेश इतना प्रभावशाली होना चाहिए, जिससे उपभोक्ता उसे अच्छी तरह याद रख सके।

2. एकाग्रता  (Concentration) : अभियान के दौरान यह ध्यान में रखा जाता है कि विज्ञापन सम्पूर्ण भौगोलिक क्षेत्र में न करके एक निश्चित तथा व्यापार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में हो, जिससे अभियान का उचित परिणाम प्राप्त हो सके। इसके लिए माध्यम का चुनाव करते समय एकाग्रता आवश्यक है। इसके अलावा विज्ञापन डिजाइन करते समय एक विचार या विक्रय बिन्दु पर भी एकाग्र होने की जरूरत होती है।

3. दोहराव (Repetation) : दोहराव का अर्थ संदेश के दोहराने से है, जिससे सम्भावित उपभोक्ता के दिमाग में संदेश प्रभाव डाल सके। कहने का तात्पर्य है कि उपभोक्ता के दिमाग में उत्पाद के आग्रह को प्रभावी ढंग से स्थापित करने के लिए संदेश का दोहराव आवश्यक है।

विज्ञापन अभियान समयबद्ध होती है, जैसे- एक सप्ताह, एक माह व एक वर्ष आदि। इस निर्धारित समय में विज्ञापन श्रृंखला या विज्ञापनों का दोहराव विज्ञापन योजना के लिए चयनित माध्यमों में समय-सारणी के अनुसार जारी किया जाता है। विज्ञापन-योजना के निर्माण के समय निम्न चार प्रमुख तथ्यों का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।

1. क्या कहना है? (What to say) - इसके अन्तर्गत संदेश के बारे में विचार किया जाता है कि संदेश में क्या कहना है।

2. कैसे कहना है? (How to say) - कौन से माध्यम द्वारा संदेश को सम्भावित उपभोक्ता तक पहुँचाना है।

3. कहाँ कहना है? (Where to say) - इसके अन्तर्गत यह देखा जाता है कि संदेश को कौन से स्थान (क्षेत्र में) पर कहना है।

4. कब कहना है? (When to say) - कब कहना का अर्थ है कि किस समय संदेश को कहना है अर्थात् संदेश को सम्प्रेषित करने के लिए कौन-सा समय उचित होगा।

सफल विज्ञापन अभियान के लिए यह आवश्यक है कि कार्यक्रम तैयार करने से पहले बाजार, वस्तु, उपभोक्ता, माध्यम आदि की जानकारी एकत्र करके जाँच व विश्लेषण की जाये। बड़े उत्पादक जिस प्रकार अपने उत्पादको बाजार में लाने से पहले उसकी माँग, भाव, कच्चे माल की उपलब्धता इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं, उसी प्रकार एक विज्ञापन संस्थान को भी विज्ञापन जारी करने से पहले बाजार, वस्तु और उपभोक्ता का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है।

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