रेडियो संचार का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है, जिसके कार्यक्रमों को सस्ते रिसीवर या मोबाइल फोन की सहायता से कहीं भी सुना जा सकता है।
रेडियो की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- निरक्षर व्यक्तियों के लिए वरदान : रेडियो निरक्षर व्यक्तियों के लिए वरदान हैं, क्योंकि इस पर प्रसारित कार्यक्रमों को सुनने के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रमों का जितना पढ़े-लिखे श्रोताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं, उतना ही अनपढ़ या निरक्षर व्यक्तियों के लिए भी। इसके कार्यक्रमों का प्रभाव सभी पर समान रूप से पड़ता है।
- घटनाओं का सटीक शाब्दिक चित्रण : रेडियो किसी भी कार्यक्रम का शब्दों में सटिक चित्रण करता है। इसके उदाहरण के रूप में दिल्ली के गणतंत्र दिवस परेड को ले सकते हैं। रेडियो पर गणतंत्र दिवस परेड का आँखों देखा हाल शब्दों में सुनाया जाता है। जब श्रोता रेडियो पर देशभक्ति धुन व बैण्ड के साथ सैनिकों के मार्चपास्ट के दौरान कमाण्ड सुनते हैं तो उनके मन में राष्ट्रभक्ति का भाव और गणतंत्र दिवस परेड का दृश्य स्वतः आ जाता है।
- कार्यक्रम प्रसारण की गति : रेडियो संचार का सबसे तेज माध्यम है। इस पर प्रसारित कार्यक्रम देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बैठे श्रोताओं के पास लगभग एक समान समय में पहुंचता है। कहने का तात्पर्य यह है कि श्रोता देश की राजधानी दिल्ली का हो या हिमाचल के सुदूर क्षेत्र कुल्लू-मनाली का। सभी के पास रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रम लगभग एक ही समय में पहुंचता है।
- सरल तकनीकी वाला माध्यम : रेडियो सरल तकनीकी वाला माध्यम है। इसे कम पढ़े लिखे या अनपढ़ व्यक्ति भी आसानी से संचालित कर लेते हैं। परम्परागत रेडियो सेट हो या मोबाइल में एप्प संचालित रेडियो, सभी सरल प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जिसके चलते श्रोता आसानी से ऑपरेट कर लेते हैं।
- सस्ता माध्यम : रेडियो संचार का सबसे सस्ता माध्यम है। इस पर प्रसारित कार्यक्रमों को सुनने के लिए 100-200 रूपये में रेडियो सेट खरीदा जा सकता है। वर्तमान समय में लगभग सभी मोबाइल फोन में रेडियो सुनने की सुविधा फ्री में उपलब्ध है।
- कम लागत में कार्यक्रम निर्माण : रेडियो संचार का श्रव्य माध्यम है, जिसके कार्यक्रमों को श्रोता सुनते है। ऐसे में रेडियो कार्यक्रमों का निर्माण भी काफी कम लागत में हो जाता है। रेडियो कार्यक्रम तैयार करने के लिए भारी भरकम सेट, श्रृंगार व वेशभूषा इत्यादि की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- बिजली की जरूरत नहीं : रेडियो बजाने के लिए टेलीविजन की तरह बिजली की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे ड्राई बैटरी की सहायता से चलाया जा सकता है।
- पोर्टेबल माध्यम : रेडियो पोर्टेबल माध्यम है। इसे अपनी सुविधानुसार कहीं भी ले जाया जा सकता है, जबकि टेलीविजन में यह सुविधा नहीं होती है। आजकल चलती कार में रेडियो कार्यक्रम सुनने का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि रेडियो पर प्रसारित कार्यक्रमों को चलती कार में सुनना अन्य माध्यमों की अपेक्षा काफी आसान है।
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