भारत में रेडियो का प्रसारण अगस्त 1921 में तब हुआ, जब तत्कालीन गर्वनर जनरल जार्ज लायड के आग्रह पर टाइम्स ऑफ इंडिया और पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ विभाग ने बम्बई (अब मुम्बई) में संगीत कार्यक्रम का प्रसारण किया। 1926 में कुछ व्यक्तिगत रेडियो क्लबों द्वारा प्रसारण कम्पनी गठित करके बम्बई, कलकत्ता और मद्रास में प्रसारण सेवा को प्रारंभ किया गया। इन क्लबों ने मारकोनी कम्पनी का ट्रांसमीटर लगा था। 23 जुलाई, 1927 को बम्बई केंद्र का उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया। इसके कुछ सप्ताह बाद 26 अगस्त, 1927 को कलकत्ता (अब कोलकाता) केंद्र का शुभारंभ तत्कालीन गर्वनर स्टेनली जैक्सन ने किया, जिस पर पहला समाचार बुलेटिन प्रसारित किया गया।
भारत सरकार ने 1930 में प्रसारण सेवा का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया और ‘इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस’ (आईएसबीसी) की स्थापना की। इसके प्रथम महानिदेशक लियोनेल फील्डेन थे। एक जनवरी, 1936 को दिल्ली में प्रसारण केंद्र स्थापित हुआ। 8 जून, 1936 में इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग कम्पनी का नाम बदलकर ‘ऑल इंडिया रेडियो’ कर दिया गया। 1935 में तत्कालीन देशी रियासत मैसूर में ‘आकाशवाणी’ नाम से स्वतंत्र रेडियो स्टेशन संचालित हो रहा था। 1938 में कलकत्ता के शॉर्ट वेब प्रसारण के उद्घाटन अवसर पर कवि रवींद्र नाथ टैगोर ने आकाशवाणी नामक कविता का पाठ किया। 1946 में सरदार बल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने, तब आकाशवाणी के विस्तार की योजना बनी। इसी योजना के परिणाम स्वरूप 1950 तक ऑल इंडिया रेडियो से प्रसारित प्रोग्रामों की अवधि 60 हजार घंटे प्रति वर्ष हो गयी।
भारत विभाजन के समय देश में कुल नौ रेडियो प्रसारण केंद्र थे। लाहौर, पेशावर और ढाका केंद्रों के पाकिस्तान में चले जाने के बाद भारत के पास मात्र छह केंद्र- बम्बई, कलकत्ता, दिल्ली, मद्रास, तिरूचि और लखनऊ रह गये थे। 1950 तक देश में 21 रेडियो केंद्र स्थापित हो चुके थे। 1952 में ऑल इंडिया रेडियो द्वारा संगीत का अखिल भारतीय कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। 25 जनवरी, 1956 को प्रथम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन प्रसारित हुआ। 1957 में भारत सरकार ने रेडियो के राष्ट्रीय प्रसारण के लिए ‘आकाशवाणी’ का नाम दिया गया। इसी साल रेडियो पर व्यावसायिक प्रसारण के उद्देश्य से विविध भारती सेवा प्रारंभ की गई। 1964 में आकाशवाणी के कार्यक्रमों की समीक्षा हेतु चंद्रा कमेटी का गठन किया गया, जिसने ‘रेडियो एण्ड ट ेलीविजन रिपोर्ट ऑफ द कमेटी ऑन ब्रॉडकास्टिंग एण्ड इन्फॉमेशन मीडिया-1966 के नाम से अपना रिपोर्ट प्रस्तुत किया। इसमें रेडियो और टेलीविजन के लिए स्वायत्त निगम की सिफारिश की गयी थी। 1965 में 10 केंद्रो से कृषि प्रसारण प्रारंभ हुआ। 1967 से ऑल इंडिया रेडियो व्यावसायिक बना। 1969 में सामुदायिक श्रोता योजना प्रारंभ की गयी। 1971 से युववाणी कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। सर्वप्रथम चुनाव बुलेटिन का प्रसारण 1977 में हुआ। जुलाई 1977 में एफ.एम. (फ्रीक्वेन्सी मॉड्यूलेशन) ट्रांसमीटर चालू होने से आकाशवाणी को एक नई दिशा मिली।
1978 में नियुक्त वर्गीज समिति ने आकाशवाणी की स्वायत्तता पर जोर देकर एक महत्वपूर्ण मार्ग खोला। 18 मई 1988 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा रात्रिकालीन आकाशवाणी राष्ट्रीय प्रसारण सेवा राष्ट्र को समर्पित की गयी। 1993 में 18 घंटा प्रसारण के साथ आकाशवाणी की एफ.एम. सेवा प्रारंभ हुई। अगस्त 1993 में आकाशवाणी ने अपना एक अलग हिन्दी प्रभाग, समाचार और सूचना संग्रहण के लिए प्रारंभ किया। एक अप्रैल, 1994 से प्रारंभ स्काई रेडियो कार्यक्रम ने आकाशवाणी जगत में नई हलचल मचा दी। आकाशवाणी ने भू-स्थिर संचार उपग्रह इन्सेट-2बी की सहायता से अपने कार्यक्रमों का प्रसारण आरंभ किया, जिसे अन्य केंद्रों की मदद से पूरे देश में सुना जाने लगा। 14 फरवरी, 1995 से दिल्ली में 24 घंटे का एफ.एम. प्रसारण प्रारंभ हुआ। 15 अगस्त, 1997 से प्रसार भारती बिल पारित होने से रेडियो के विकास में नवीन चेतना आयी। 1998 में रेडियो की वेबसाइट लांच हुई। एक सितंबर, 2001 को दिल्ली में एफ.एम. गोल्ड का प्रसारण प्रारंभ हुआ। मई 2008 से आल इंडिया र ेडियो की न्यूज ऑन सेवा दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, हैदराबाद, पटना, अहमदाबाद, बंगलूरू, त्रिवेंद्रम, जयपुर, लखनऊ, रायपुर, गुवाहाटी और शिमला समेत 14 स्टेशनों पर उपलब्ध है। वर्तमान समय में रेडियो स्टेशनों की संख्या 80 से अधिक हो गई है, जिनके कार्यक्रमों में आम जनता की भागदारी बढ़ी है।
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