उत्पादक अपने उत्पाद के प्रति उपभोक्ताओं को आकर्षित करने, उपभोग की इच्छा उत्पन्न करने तथा बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध कराने के लिए संयुक्त रणनीति बनाते हैं, जिसेे विपणन मिश्रण (Marketing Mix) कहते हैं। इसका उद्देश्य उत्पादक को अधिकतम लाभ तथा उपभोक्ता का अधिकतम संतुष्टि प्रदान करना होता है। लतीफ के अनुसार- जिस प्रकार अधिकतम उत्पादन के लिए क्रियात्मक मिश्रण की जरूरत होती है, ठीक उसी प्रकार विपणन क्रियाओं के कुशल संचालन के लिए विपणन मिश्रण की। इसकी खास बात यह है कि इसमें एक भी तत्व के प्रतिकूल होने की स्थिति में अच्छा से अच्छा विज्ञापन भी बेकार हो जाता है, क्योंकि विज्ञापन ‘विपणन मिश्रण’ का एक हिस्सा मात्र है। इसकी सफलता अन्य तत्वों पर भी निर्भर करती है।
विपणन मिश्रण के तत्व: विपणन मिश्रण में जिन-जिन तत्वों को सम्मलित किया जाता है, उसकी एक लम्बी सूची विकसित हो चुकी है। प्रो. फ्रे ने इन तत्वों को दो भागों में विभाजित किया है। पहला, वे तत्व जो बाजार में प्रस्तुत किये जाने वाले उत्पाद से सम्बन्धित हैं। इसके अंतर्गत् उत्पाद, पैकेज, ब्राण्ड, कीमत इत्यादि आते हैं। दूसरा, वे तत्व जो वितरण व प्रचार व्यवस्था से सम्बन्धित हैं। इसके अंतर्गत् वितरण-वाहिकाएं, वैयक्तिक वितरण, विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन तथा प्रचार आते हैं। लेजर एवं केली ने विपणन मिश्रण को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है। पहला, उत्पाद एवं सेवा मिश्रण दूसरा, वितरण मिश्रण और तीसरा, संचार मिश्रण। मेकार्थी ने अनुसार, विपणन मिश्रण में सम्मिलित तत्वों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है, जिसे उन्होंने 4Ps का नाम दिया है। जो इस प्रकार है:-
1. उत्पाद (Product)
2. मूल्य (Price)
3. स्थान (Place)
4. संवर्द्धन (Promotion)
मेकार्थी का मानना है कि उपभोक्ता उत्पाद, मूल्य, स्थान और संवर्द्धन से प्रभावित होता है। इसे निम्न प्रकार आसानी से समझा जा सकता है:-
1. उत्पाद (Product) : उपभोक्ता को वहीं उत्पाद आकर्षित करता है, जिसमें अधिकतम संतुष्टि प्रदान करने की क्षमता होती है। संतुष्टि प्रदान करने की क्षमता न होने की स्थिति में उत्पाद का विज्ञापन चाहे जितने भी मजबूत जन-माध्यम से किया जाए, उपभोक्ता उसके प्रति आकर्षित नहीं होंगे। उदाहरणार्थ, विद्यार्थी उसी कलम को अधिक खरीदना पसंद करते है, जो लिखने में सरल और देखने में सुंदर हो। यदि कोई कलम देखने में तो सुंदर होगी तथा लिखने में सरल नहीं होगी तो उसे कोई खरीदना पंसद नहीं करेगा। अतः विज्ञापन की सफलता के लिए उत्पाद का गुणवत्ता युक्त होना आवश्यक है।
2. मूल्य (Price) : आजकल बाजार में हर उत्पाद का विकल्प मौजूद है। कोई उत्पाद गुणवत्ता के साथ-साथ कीमत में काफी मंहगा होगा, तो उसके विज्ञापन को आकर्षक तरीके से चाहे जितने भी मजबूत जन-माध्यमों से सम्प्रेषित किया जाये। इससे उपभोक्ता उसकी ओर आकृष्ट हो सकते है, लेकिन कीमत अधिक होने के कारण खरीदेगें नहीं तथा उस वस्तु के विकल्प की तलाश करेगें। अतः उत्पाद गुणवत्ता युक्त होने के साथ-साथ कीमत में भी सस्ता होना चाहिए।
3. स्थान (Place) : विज्ञापन की सफलता के लिए बाजार में उचित स्थान पर उत्पाद के वितरण की व्यवस्था का होना आवश्यक है। यदि कोई उत्पाद गुणवत्ता युक्त होने के साथ-साथ कीमत में भी सस्ता हो, लेकिन बाजार में उचित स्थान पर बिक्री/वितरण के लिए उपलब्ध न हो, जिसके चलते उपभोक्ता उपभोग से वंचित रह जाए। ऐसी स्थिति में विज्ञापन पर किया गया व्यय बेकार होगा।
4. संवर्द्धन (Promotion) : प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में उत्पाद को तेजगति से तथा बड़े पैमाने पर बेंचने के लिए संवर्द्धन (प्रोत्साहन) की जरूरत पड़ती है। प्रतिष्ठित कम्पनियां अपने उत्पाद का मजबूत जन-माध्यमों से विज्ञापन करने के साथ-साथ वितरकों, खुदरा व्यापारियों तथा उपभोक्ताओं के लिए भी अनेक प्रोत्साहन योजनाएं चलाती हैं।जैसे- मुफ्त उपहार, लाटरी ड्रा, दो के साथ एक फ्री या कीमत मेें छूट इत्यादि। इससे आकर्षित होकर उपभोक्ता उत्पाद के प्रति दिलचस्पी लेने लगते हैं।
विपणन मिश्रण में विज्ञापन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन केवल विज्ञापन से उत्पादक का लक्ष्य पूरा नहीं होता है। विज्ञापन की सफलता उत्पाद की गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धी उत्पादों की तुलना में कीमत तथा विक्रय व्यवस्था पर भी निर्भर करता है। इसलिए, विपणन मिश्रण प्रक्रिया के अंतर्गत् विज्ञापन के साथ उपरोक्त तत्वों को आपेक्षित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ध्यान में रखना आवश्यक है। इनमें आवश्यकतानुसार परिवर्तनकरना भी जरूरी है।
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