जिस प्रकार एक ड्राईवर के लिए अपने कल-पुर्जो की जानकारी होना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार फोटो पत्रकार के लिए भी अपने कैमरे के सभी जानकारी होना जरूरी है। पत्रकारिता के मौजूदा समय में फोटोग्राफी का विशेष महत्व है, क्योंकि वर्तमान भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत से लोगों को समाचार पत्रों में प्रकाशित फोटोग्राफ से घटना-दुर्घटना की भयावहता की जानकारी मिलती है। मौजूदा बाजार में सैकड़ों कम्पनियों के सस्ते-मंहगे कैमरा मौजूद है। सभी कैमरों में निम्नलिखित तत्व मिलते हैं:-
- व्यू फाइंडर (View finder)
- लेंस (Lens)
- शटर (Shutter)
- फिल्म चैम्बर (Film Chamber) औरपी
- लाइट मीटर (Light Meter)
1. व्यू फाइंडर (View finder) : किसी भी कैमरे में फोटोग्राफी से पहले व्यूू फाइंडर की मदद से दृश्य को देखा जाता है। इससे यह आभास हो जाता है कि दृश्य का क्षेत्र कितना है। व्यू फाइंडर प्रत्येक कैमरे में लगा होता है। कैमरा ओबस्क्योरा के आविष्कार के बाद व्यू फाइंडर के बारे में कई आवष्किार किये गये। विभिन्न प्रकार के कैमरे में अलग-अलग प्रकार के व्यू फाइंडर लगे होते हैं। कुछ बाक्स कैमरे में सीधे आंख के स्तर के व्यू फाइंडर लगे होते हैं। टविन लैंस और सिंगल लैंस कैमरा में धुंधले शीशे और दर्पण वाले व्यू फाइंडर होते हैं। सिंगल लेंस रिफ्लैक्स कैमरा में प्रिज्म, धुंधले और दर्पण व्यू फाइंडर होते हैं।
2. लैन्स (Lens) : यह कैमरे का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। कैमरे से फोटोग्राफी के दौरान हमारी सबसे पहले विषय वस्तु को देखना होता है, जो कैमरे में लगे लैन्स के द्वारा ही संभव है। इसलिए लैंस कैमरे का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है। लैन्स प्रायः शीशे का बना एक पारदर्शी माध्यम है, जो दोनों तरफ से वक्राकार होता है और प्रकाश की किरणों को परिवर्तित करता है। इसका प्रयोग न केवल कैमरे में बल्कि एंलार्जर और प्रोजैक्टर में भी किया जाता है। इसी पर विषय-वस्तु के बिम्ब का सही होना, न होना निर्भर करता है। लैन्स की वक्रता गोलाकार, बेलनाकार या अनुवृत्ताकार होती है, परंतु फोटोग्राफी में प्रयोग किया जाने वाला लैंस एक तरफ से अवश्य गोलाकार होता है। लैंस मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-उत्तल और अवतल।
3. शटर (Shutter) : कैमरे का तीसरा मुख्य भाग शटर है। शटर एक दरवाजा की तरह होता है, जो लैन्स और फिल्म के बीच कार्य करता है। यह फिल्म पर पड़ने वाले प्रकाश को नियंत्रित करता है। शटर के माध्यम से प्रकाश तभी कैमरे के अंदर जाता है, जब बटन दबाकर शटर को खोला जातस है। शटर को ऐसे बनाया जाता है कि यह कैमरा प्रयोग करने वाले की इच्छा के अनुरूप उतने समय तक प्रकाश को आने दे, जितनी देर तक वह चाहता है। परंतु साधारण कैमरे में शटर की समय सीमा पूर्व निर्धारित होती है। इसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
4. फिल्म चैम्बर (Film Chamber) : यह कैमरे का चौथ महत्वपूर्ण भाग है। कैमरे में फिल्म चैम्बर के मुख्यतः दो भाग होते हैं। पहले भाग में खाली फिल्म लगी है। फोटोग्राफी के बाद वह दूसरे भाग में लिपट जाती है। प्रांरभिक कैमरों में फोटोग्राफी के बाद फिल्म को मैनुअल तरीके से आगे बढ़ाया जाता था। बाद में, ऑटोमैटिक तरीके से फोटोग्राफी के बाद फिल्म चैम्बर के दूसरे भाग में स्वतः जाने लगा। डिजिटल कैमरों में फिल्म चैम्बर नहीं होता है। इसके स्थान पर एसडी या मेमोरी कार्ड लगाने की व्यवस्था होती है।
5. लाइट मीटर (Light Meter) : यह एक यांत्रिक उपकरण है, जिसका उपयोग कैमरे की लाइट को मापने के लिए किया जाता है। लाइट मीटर का उपयोग फोटोग्राफी के दौरान फिल्म पर पड़ने वाले प्रकाश की गति को मापने के लिए किया जाता है। कैमरे में डिजिटल तथा एनलॉग किस्म के लाइट मीटर लगे होते हैं, जो एक निश्चित प्रकाश व्यवस्था में कार्य करता है।
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