आकाशवाणी का एक विशेष अनुभाग ग्रामीण श्रोताओं के लिए कार्य करता है। इसके लिए आकाशवाणी के सभी केंद्रों पर खेती गृहस्थी एकांश नामक यूनिट है। इस यूनिट का कार्य अपने कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण श्रोताओं के लिए उपयोगी जानकारी पहुंचाना है। इसके लिए एकांश में कृषि के अनुभवी और प्रशिक्षित व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है। इस एकांश को अपने प्रसारण क्षेत्र में आने वाले कृषि अधिकारियों, कृषि महाविद्यालयों के विशेषज्ञों, अनुभवी किसानों आदि के माध्यम से जानकारी एकत्र कर श्रोताओं तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। यह एकांश केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की विस्तारपूर्वक जानकारी भी श्रोताओं तक पहुंचाने का कार्य करता है। किसानों व ग्रामीणों के लिए गोष्ठियों का आयोजित करता है। समय-समय पर ऐसी चौपाल लगाता है, जहाँ अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ बैठकर ग्रामीण अपनी समस्याओं से अवगत कराते हैं तथा समाधान के लिए विचार-विमर्श करते हैं। इस दौरान मनोरंजक वातावरण बनाने के लिए गीत-संगीत भी बजाया जाता है।
इनके अतिरिक्त स्टूडियो में बैठकर कृषि वैज्ञानिकों और अनुभवी किसानों से श्रोताओं द्वारा भेजे गये प्रश्नों का निराकरण करने के साथ ही उनसे साक्षात्कार के माध्यम से ही उनसे नवीन तकनीकी आदि के बारे में उपयोगी जानकारी प्राप्त की जाती है। इस एकांश के प्रसारण के अधिकतर नाम बदलते रहे। इन्हें कभी ‘चौपाल‘, कभी किसान भाइयों के लिए कभी ‘चले गांव की ओर‘ आदि नाम दिये गये। आजकल अधिकतर केन्द्र इसे खेती-गृहस्थी के नाम से प्रसारित करते रहे है।
ग्रामीण श्रोताओं के लिए तैयार प्रत्येक कार्यक्रम को अपनी पहचान के लिए एक संकेत घुन होती है, श्रव्य के रूप में श्रोताओं तक पहुँचती है। आकाशवाणी में किसानों एवं ग्रामीण वर्ग के श्रोताओं के लिए प्रसारण हेतु निश्चित कार्यक्रम के पहले प्रसारित होने वाली संकेत धुन में बैलगाड़ियों को चलने की ध्वनि का प्रवाह के साथ उस क्षेत्र की लोक धुन को सम्मिलित किया जाता है। यह धुन ग्रामीण श्रोता कार्यक्रम की पहचान है।
सन् 1965 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा कृषि और शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से खेती-गृहस्थी एकांश का प्रायोगिक तौर पर दस केन्द्रों से प्रारंभ किया गया। यह केन्द्र जालंधर, लखनऊ, कटक, रायपुर, गुना, हैदराबाद, बैंगलूर, तिरूचि, दिल्ली, पटना थे। वर्तमान में विज्ञापन सेवा केन्द्रों को छोड़कर लगभग सभी केन्द्र खेती-गृहस्थी एकांश पर काम करते हैं, जिनके कार्यक्रमों की गुणवत्ता के लिए अपेक्षित प्रसारण सामग्री का अभाव भी दिखाई देता है।
आकाशवाणी के कई केन्द्रों में जहां खेती-गृहस्थी एकांश अधिक सक्रिय है, वहीं किसी विशेष फसल के समय चक्र को ध्यान में रखकर विशेष प्रसारण श्रृंखला का आयोजन भी किया जाता रहा है। उदाहरण स्वरूप यदि गेहूं की खेती से सम्बन्धित प्रसारण की श्रृंखला प्रारंभ की जाती है, जिसमें कृषि विशेषज्ञों और कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से गेहूं की खेती के लिए भूमि की तैयारी और बुआई से लेकर कटाई व भण्डार तक संपूर्ण प्रक्रिया को श्रृंखलाबद्ध तरीके से प्रसारित किया जाता है।
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