इंटरनेट पर वर्ल्ड वाइड वेब प्रयोग कर विविध जानकारी प्राप्त की जा सकती है। संक्षेप में इसे WWW या ‘वेब’ कहा जाता है। इसका उपयोग कर इंटरनेट उपभोक्ता उन वेब पेजों को आसानी से देख सकते हैं जिनमें टेक्स्ट, तस्वीर, वीडियो तथा अन्य मल्टीमीडिया होता है। इस तकनीकी को स्विट्जरलैंड के कम्प्यूटर वैज्ञानिक जॉन बर्नर्स-ली ने 25 दिसंबर, 1990 को विकसित किया, जिन्हें टिम बर्नर्स के नाम से भी जाना जाता है। 8 जून, 1955 को ब्रिटेन में जन्मे टिम बर्नर्स ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान हैकिंग के आरोप में पकड़े गये थे। स्वीट्जरलैंड स्थित यूरोपियन नाभकीय अनुसंधान संगठन में नौकरी के दौरान उन्होंने देखा कि अलग-अलग कम्प्यूटर में अलग-अलग तरह की सूचनाएं हैं। तभी उनके मन में विचार आया कि- सभी सूचनाओं को एक साथ सभी कम्प्यूटरों पर क्यों नहीं देखा जा सकता है?
टिम बर्नर्स ने ‘इंफो डॉट सीईआरएन डॉट सीएच’ नाम से पहला इंटरनेट सर्वर बनाया, जो लालफीताशाही के चलते दुनिया के सामने नहीं आ सका और गुमनामी के अंधेरे में खो गया। इसके बावजूद टिम का हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने इंटरनेट कम्यूनिटी की दिशा में प्रयास जारी रखा। अंततः सन् 1991 में उनकी मेहनत सफल हुई। उनके द्वारा तैयार किया गया वर्ल्ड वाइड वेब ब्राउजर और इंटरनेट सर्वर दुनिया के सामने आ गया। तब यूरोपियन नाभकीय अनुसंधान संगठन ने दोनों पर अपना अधिकार जताया, क्योंकि उसकी कम्पनी में टिम बर्नर्स कार्यरत थे। 30 अप्रैल, 1993 को वर्ल्ड वाइड वेब ब्राउजर और इंटरनेट सर्वर तकनीकी की विश्वव्यापी उपयोगिता को देखते हुए WWW को अपने अधिकार से मुक्त करना पड़ा।
इस तकनीकी से उपभोक्ताओं को जहां सूचना सम्प्रेषण का बेहतर माध्यम मिला, वहीं इंटरनेट पर सूचनाओं का भंडार आ गया। 24 मई, 1994 को यूरोपियन नाभकीय अनुसंधान संगठन ने वर्ल्ड वाइड वेब पर पहली कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें टिम बर्नर्स ने इंटरनेट का दुरूपयोग रोकने के लिए एक संगठन बनाने की मांग रखी। परिणामतः जुलाई 1994 में ‘मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (MIT) ने संगठन बनाने की मेजबानी की। यूरोप में यूरोपियन नाभकीय अनुसंधान संगठन और अमेरिका में MIT को इस संगठन का मुख्यालय बनाया गया। इसका उद्देश्य वेब तकनीकी और सुविधाओं को बेहतर बनाना और दुरूपयोग रोकना है। हालांकि बाद में यूरोपियन नाभकीय अनुसंधान संगठन ने स्वयं को इस संगठन से अलग कर लिया, तब फ्रांस के ‘नोनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च’ को ‘कम्प्यूटर साइंस एण्ड कंट्रोल’ का नया मुख्यालय बनाया गया। वर्ल्ड वाइड वेब का कार्यालय अमेरिका के वर्जीनिया में है। किसी भी साइट को खोलने के लिए उस पते की जानकारी कूटभाषा में इस कार्यालय तक पहुंचानी पड़ती है, जो उस http (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल) के माध्यम से जाती हैं।
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