सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार की अनंत संभावनाओं को देखते हुए बड़े ही आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाली पीढ़ी का मीडिया अभूतपूर्व होगा। वेब की दो पीढ़ी विकसित हो चुकी है- वेब 1.0 और वेब 2.0। वर्तमान समय में वेब 3.0 की कल्पना की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक वेब 3.0 इतनी आधुनिक होगी कि इसके सामने आज की तकनीक और इंटरनेट स्पीड कुछ भी नहीं होगी।

अपने दौर का सर्वाधिक लोकप्रिय अमेरिकी टीवी धारावाहिक ‘स्टार ट्रेक’ में भविष्य की न्यू मीडिया के नजारों को देखा जा चुका है। क्या आने वाला मीडिया ‘स्टार ट्रेक’ जैसी गल्प और कल्पनाओं को साकार कर देगा। इसका जवाब फौरन हां में भले ही न दिया जा सके, लेकिन इसे बिल्कुल न कहकर नकारा भी नहीं जा सकता है।
संभवतः इन्हीं कारणों से वर्ल्ड वाइड वेब के जन्मदाता टिम बर्नर्स ली ने सिमैंटिक वेब की कल्पना की होगी। इस शब्दावली के जन्मदाता भी टिम बर्नर्स ली ही हैं। उन्होंने इसे वेब 3.0 का एक महत्त्वपूर्ण घटक माना है। टिम बर्नर्स ली का कहना है कि सिमैंटिक वेब ही आगामी न्यूनता की ओर ले जाएगा। अतः वेब 3.0 को समझने से पहले सिमंटिक वेब को जानना जरूरी है।
सिमैटिक का सामान्य अर्थ शब्दार्थ विज्ञान है। यह एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें अर्थ का निष्पादन किया जाता है। इसे समझने की प्रक्रिया को सिमेंटिक कहा जाता है। वेब के संदर्भ में सिमेंटिक का अर्थ है वर्ल्ड वाइड वेव का ऐसा विस्तार है, जहां लोग एप्लीकेशंनों और वेबसाइटों की परिधियों से आगे जाकर कंटेंट को शेयर कर सकते हैं। इसे काल्पनिक विजन माना जाता है। सिमैंटिक वेब को डाटा का वेब (वेब ऑफ डाटा) भी कहा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वेब गतिविधि को नया बदलाव देगा। आज कई सिमैंटिक तकनीकें बनाई जा रही हैं, कई एप्लीकेशनों की खोज की जा रही है, ताकि वेब को और सहज, सुगम और सरल बनाया जा सके। ऐसा भी कहा जा सकता है कि सिमैंटिक वेब, कंप्यूटर को मनुष्य मस्तिष्क के समतुल्य करने की एक शुरुआत है।
टिम बर्नर्स ली, जेम्स हैंडलर और ओरा लासिला ने मई 2001 में मशहूर विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक अमेरिकन में सिमैंटिक वेब के बारे में सबसे पहले अपना शोध प्रकाशित किया था। टिम और अन्य के मुताबिक, ‘‘सिमैंटिक वेब, मौजूदा वेब का एक विस्तार है जिसमें सूचना को एक सटीक परिभाषित अर्थ दिया गया है, जिसमें कंप्यूटर ज्यादा कारगर है और जहां लोग सहयोग के साथ काम कर सकते हैं।‘‘
टिम बर्नर्स ली ने सिमैंटिक वेब को परिभाषित करते हुए कहा कि यह एक डाटा वेब है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मशीनों द्वारा परिवर्तित और परिष्कृत किया जा सकता है। उनके मुताबिक यह वेब एक साथ संदर्भ और सामग्री (कॉन्टेक्स्ट एंड कंटेंट) को पढ़ने और समझने की क्षमता वाला होगा।
यह सामग्रियों को फिल्टर कर सकेगा और यूजर के समक्ष सिर्फ वही सामग्री पेश करेगा जो सबसे प्रासंगिक हो, सबसे प्रासंगिक सोर्स से आई हों और सबसे ताजा हो। इस काम के लिए यूजर को अपनी सामग्री के संदर्भ वाली सूचना मुहैया करानी होगी, जिसका कि एक तरीका टैगिंग है।
कुल मिलाकर विचार ये है कि वेब, यूजर के इनपुट और कंटेंट के चरित्र-चित्रण का इस्तेमाल करेगा जो आगे चलकर नतीजतन सिमैंटिक और अर्थ आधारित गुणात्मक सर्च को संभव बनाएगा। इसके लिए एक नए प्रोटोकॉल, आरडीएफ रिसोर्स डिस्क्रिप्शन फ्रेमवर्क पर वर्ल्ड वाइल्ड वेब कंजेटियम डब्ल्यूसी काम कर रहा है। इसी प्रोटोकाल के जरिए वेब की हर तरह की सूचना या डाटा को कोड किया जाएगा। इसमें एक समान भाषा विकसित की जाएगी जो गुणात्मक सर्च को संभव कर सकेगी।
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