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विज्ञापन की आवश्यकता और कार्य (Need and Functions of advertising)

 विज्ञापन से केवल विज्ञापनदाताओं को ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी लाभ होता है, क्योंकि विज्ञापन विज्ञापनदाता लाभ कमाने के उद्देश्य से विज्ञापन जारी करते है। विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ताओं को बाजार में उपलब्ध वस्तुओं, उत्पादों व सेवाओं के बारे में जानकारी मिलती है। विज्ञापन के कारण उपभोक्ताओं के पास एक ही वस्तु, उत्पाद व सेवा के कई विकल्प उपलब्ध होते हैं, जिनमें से वह सस्ते और अच्छे का चुनाव करता है। अब सवाल उठता है कि विज्ञापन कैसे कार्य करता है? या विज्ञापन के कौन-कौन से कार्य है? इसका जवाब है कि विज्ञापन सबसे पहले उपभोक्ताओं के पास पहुंचता है। फिर, विज्ञापित वस्तु, उत्पाद व सेवा इत्यादि के बारे में जानकारी देता है। इस प्रकार विज्ञापन विज्ञापित वस्तु, उत्पाद व सेवा के प्रति उपभोक्ताओं के मन में आकर्षक छवि का निर्माण करता है। इसे अंग्रेजी में रिचिंग, रिमाईंडिंग व रेनफोर्समेंट कहा जाता है।

दूसरे तरीके से समझा जाए तो विज्ञापन सबसे पहले उपभोक्ता का ध्यान आकर्षित करता है। उसके पश्चात् विज्ञापित वस्तु के प्रति उपभोक्ता के मन में रूचि पैदा करता हैं। तीसरे चरण पर विज्ञापन उपभोक्ता के मन में विज्ञापित वस्तु, उत्पाद व सेवा का उपभोग करने की इच्छा उत्पन्न कराता है। अन्त मे ंविज्ञापन उपभोक्ताओं को विज्ञापित वस्तु को अपनाने की दिशा में यथासम्भव प्रयास करता है।

उपरोक्त आधार पर कहा जा सकता है कि विज्ञापन चार प्रमुख कार्य करता है: 

1. ध्यान आकर्शित करना या अटैंन्सन।

2. रूचि पैदा करना या इन्टरैस्ट।

3. इच्छा जागृत करना या डिजायर।

4. अपनाने के लिए प्रेरित करना या ऐक्शन।


अंग्रेजी में इसको अटैंन्सन, इन्टरैस्ट, डिजायर, ऐक्शन यानि ए.आई.डी.ए. फॉमूला कहा जाता है। कुछ अन्य विषेशज्ञों का मानना है कि इस श्रृंखला में विश्वसनीयता या करेडिबिलिटी के रूप में एक और कडी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से ए.आई.डी.ए. फॉमूला अब ए.आई.डी.सी.ए. फॉमूला के नाम से जाना जाने लगा है।

उपरोक्त से स्पष्ट है कि विज्ञापन के जरिए विज्ञापित वस्तु को उपभोक्ताओं के मन में सर्वप्रथम स्थान दिलाने का प्रयास किया जाता है। क्योंकि आज की गलाकाट स्पर्धा के माहौल में हर विज्ञापनदाता चाहता है कि उसकी वस्तु या सेवा उपभोक्ताओं के मन में सर्वोच्च स्थान बनाये। तभी खरीददारी करते समय उपभोक्ता उसकी वस्तु का नाम सबसे पहले लेगा और उसी को खरीदने पर जोर देगा। अंग्रेजी में इसको‘ टॉप ऑफ द माईंडरि कॉल’कहा जाता है।

विज्ञापन बनाते समय यह प्रयत्नकिया जाता है कि विज्ञापन उपभोक्ताओं को याद रहे व विज्ञापित वस्तु को उपभोक्ता के जेहन में सर्वाेच्च स्थान प्राप्त हो। किन्तु यह विज्ञापन बनाने वालों का एकमात्र उद्देश्य नहीं होता। सबसे पहले विज्ञापन व उपभोक्ताओं के बीच मे एक गहरा नाता बनाने का प्रयास किया जाता है। इसके फलस्वरूप विज्ञापित वस्तुओं व उपभोक्ताओं के बीच में भी नाता बन जाता है। सभी विज्ञापन दाता विज्ञापन के जरिए उपभोक्ताओं के साथ अटूट रिश्ता बनाने का प्रयास करते हैं। यह रिश्ता ऐसा हो कि जो बने और बना रहे। इस प्रयास में विज्ञापन बनाने वाले संबंधित रचनात्मक व व्यवसायिक पहलूओं में तारतम्य बनाए रखने का प्रयत्न करते हैं।


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