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बुधवार

जनसंपर्क के उद्देश्य (Objectives of Public Relations)

Dr Awadhesh K. Yadav (Assistant Professor)     अगस्त 14, 2024    

 वर्तमान समय में जनसंपर्क का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो गया है। इस क्षेत्र में नित्य नए प्रयोग किये जा रहे है। परिणामतः जनसंपर्क के उद्देश्यांे का दायरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। जनसंपर्क के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैै:- 

1. जन आकांक्षाओं को जानना : लोक कल्याणकारी राज्यों में सरकार के समस्त कार्य जनहित को ही ध्यान में रखकर किये जाते हैं। जनहित के कार्यों के सम्पादन के पूर्व यह जानना आवश्यक होता है कि जनता की सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं? जन आकांक्षाओं को जान लेने के बाद सरकार को कार्य योजना बनाने में सहुलियत मिलती है। जनसम्पर्क के विभिन्न अभिकरणों द्वारा जनता की आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं को जानने का प्रयास किया जाता है। तत्पश्चात् इसके आधार पर योजनाओं का निर्माण कर क्रियान्वित किया जाता है। 

2. जनसेवाओं की उपलब्धियों को बताना : जनता के लिए सरकार क्या कर रही है? सरकार की अब तक की क्या उपलब्धियां हैं? इन उपलब्धियों से जनता को कहां तक लाभ पहुंचा है? इसे बताने के लिए सरकार जनता के मध्य प्रचार का कार्य करती है। इसके लिए जनसंचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाता है। इन महत्वपूर्ण कार्यों व उपलब्धियों के संदर्भ में जानकारी मिल जाने के बाद जनसाधारण का विश्वास जनसेवाओं के प्रति बढ़ जाता है। 

3. लोक सेवा के अनुकूल जनमत तैयार करना : लोक सेवा एवं प्रशासकीय कार्यों के प्रति अनुकूल जनमत तैयार करना जनसम्पर्क का उद्देश्य है। यह तभी सम्भव है जब जनसंपर्क के विभिन्न अभिकरण सही दिशा में कार्य करें तथा जनता की मनोदशा को समझें, क्योंकि कोई भी सरकार अथवा प्रशासन यह नहीं चाहता कि जनमत उसके प्रतिकूल हो। जनमत को अपने अनुकूल करने के लिए जनसम्पर्क के दौरान न केवल वर्तमान कार्यों को बताया जाता है, बल्कि भविष्य की योजनाओं की जानकारी भी दी जाती है।

4. जनता व सरकार के मध्य एक कड़ी : जनसंपर्क जनता एवं सरकार के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करती है। जनसंपर्क का कार्य सिर्फ सरकार की उपलब्धियों और कार्यों को जनता को बताना ही नहीं है अपितु यह जनता की भावनाआंे और आकांक्षाआंे को भी सरकार तक पहुंचता है। अगर सरकार के किसी कार्य के प्रति जनता में अत्यधिक आक्रोश है तो सरकार अपने उस निर्णय पर विचार करती है तथा कभी-कभी जन आक्रोश को देखते हुए अपने निर्णय को बदल देती है। 

5. प्रशासनिक सुधार से सम्बन्धित सुझाव देना : संसार में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं जो सब कुछ जानता है, साथ ही ऐसा भी कोई व्यक्ति नहीं है जो कुछ नहीं जानता है। इसके बावजूद प्रशासनिक कार्यो के संचालन के लिए योग्य अधिकारियों व कर्मचारियों का चुनाव किया जाता है, ताकि बेहतर परिणाम निकल सकें। ऐसे में प्रशासनिक सुधार के लिए जनसम्पर्क के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों से सुझाव लेने का प्रयास किया जाता है।  

6. सरकार की व्यथा व असमर्थता बताना : सरकार को कई बार देश हित में कुछ ऐसे कड़े निर्णय लेने पड़ते हैं, जो जनता को पसन्द नहीं होते हैं। कुछ सीमा तक तात्कालिक रूप से ये निर्णय जन विरोधी होते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार अपनी व्यथा और असमर्थता को बताने के लिए व्याकुल होती है। कोरोना काल में गिरती जीडीपी को बचाने में विफल सरकार को कड़े निर्णय लेने पड़े। इस तरह के कड़वे निर्णय क्यों लेने पड़े? देश की व्यथा क्या है? सरकार की असमर्थता क्या है? तथा ऐसा संकट क्यों आया ? इन तमाम बातों की जानकारी जनता तक पहुंचाने में  जनसम्पर्क के विभिन्न अभिकरण अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाते हैं। 

7. जनता को अफवाहों और गलतफहमियों से दूर रखना : जनसम्पर्क का उद्देश्य जनता को सजग और सचेष्ट करना तथा अफवाहों से बचाना है। भारत जैसे देश में अधिकांशतः साम्प्रदायिक दंगे अफवाहों और गलत-फहमियों के चलते होते हैं। ऐसे में जनसम्पर्क के माध्यम से जनता को जागरूक किया जाता है। 


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