वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति अपने बढते कदमों के साथ ऊँचाईयों को छूने में लगा है। इस क्रम में तेज दौड़ने और सबसे आगे निकलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति व संस्था विज्ञापन का सहारा लेता है, क्योंकि वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में विज्ञापन ही एक ऐसा साधन है जिसो प्रयोग कर अधिक से अधिक लोगों के साथ सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है। ऐसे में मौजूदा समय को ‘विज्ञापन युग’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि आज का मानव विज्ञापन से घिरा हुआ है। नजर उठाकर जिधर देखिए उधर विज्ञापन ही नजर आता है। विज्ञापन जहां उपभोक्ताओं को उनकी आवश्यकता के हिसाब से नई-नई जानकारी देते हैं, वहीं विज्ञापनदाताओं को उनके उत्पाद, विचार या सेवा के प्रति अच्छी छवि का निर्माण कर आर्थिक लाभ भी पहुंचाते हैं। अतः कहा जा सकता है कि विज्ञापन दूसरों की जेब से पैसा निकालने का साधन है।
विज्ञापन का अर्थ
सामान्यतः विज्ञापन किसी उत्पाद, विचार व सेवा के बारे में उपभोक्ता को जानकारी उपलब्ध करवाने की योजना है, जिससे उपभोक्ताओं को अपनी आवश्यकता व बजट के अनुसार उत्पाद का चयन करने में मदद मिलती है तथा उसके मन में उस उत्पाद को खरीदने की इच्छा उत्पन्न होती है। इस प्रकार, विज्ञापन मानव जीवन में सहायक की भूमिका का निर्वाहन करता है। विज्ञापन का सर्वप्रथम उद्देश्य लक्षित उपभोक्ताओं को आर्कषक ढंग से किसी वस्तु या सेवा का सन्देश देना है।
विज्ञापन दो शब्दों ‘वि’ और ‘ज्ञापन’ के योग से बना है। ‘वि’ का अर्थ- ‘विशेष’ तथा ‘ज्ञापन’ का अर्थ ‘जानकारी या सूचना देना’ होता है। इस प्रकार, विज्ञापन शब्द का अर्थ ‘विशेष सूचना या जानकारी देना’ हुआ। विज्ञापन को अंग्रेजी में Advertising कहते हैं। । Advertising शब्द लैटिन भाषा के Advertor से बना है, जिसका अर्थ है- टू टर्न टू यानी किसी तरफ मोड़ना। फारसी भाषा में विज्ञापन को ‘जंग-ए-जरदारी’ कहा जाता है। बृहद हिन्दी शब्दकोष के अनुसार- विज्ञापन का अर्थ समझना, सूचना देना, इश्तहार, निवेदन व प्रार्थना है।
वर्तमान में विज्ञापन न केवल सूचना व संचार का एक सशक्त माध्यम बनकर सामने आया है, जिससे मानव की समस्त गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इसके प्रभाव को जनमानस की गहराईयों तक देखा जा सकता है। विपणन के क्षेत्र में विज्ञापन एक शक्तिशाली औजार के रूप में काम करता है। किसी विक्रेता के लिए अपने ग्राहकों से अपनी बात कहने, समझाने और मनाने का सबसे सहज साधन है- विज्ञापन। इसका प्रकाशन या प्रसारण निःशुल्क नहीं होता है। इसके लिए एक विज्ञापनदाता या प्रायोजक की जरूरत होती है, जो विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने के बदले में संचार माध्यमों को शुल्क का भुगतान करता है। विज्ञापन को भारतीय तथा पाश्चात्य विद्वानों ने निम्न प्रकार परिभाषित किया है।
भारतीय विद्वान के अनुसार
- डा. नगेन्द्र के अनुसार- ‘‘विज्ञापन का अर्थ है पर्चा, परिपत्र, पोस्टर अथवा पत्र-पत्रिकाओं द्वारा सार्वजनिक घोषणा।"
- डा. अर्जुन तिवारी के अनुसार- ‘‘विज्ञापन लाभ-हानि का प्रभावी माध्यम है तथा सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त उपकरण है।"
- के. पी. नारायण के अनुसार- ‘‘विज्ञापन का प्रत्यक्ष सम्बन्ध प्रचार-प्रसार से है।"
- के. के. सक्सेना के अनुसार- “विज्ञापन का तात्पर्य एक ऐसी पद्धति से है जिसके द्वारा कुछ निश्चित वस्तुओं व सेवा के अस्तित्व तथा विशेषताओं की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जाता है।"
पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार
- इग्लैण्ड के प्रधानमंत्री मलेडस्टोन के अनुसार- “व्यवसाय के लिए विज्ञापन का वही महत्व है जो उद्योग के लिए वाष्पशक्ति का।"
- अमेरिकन मार्केटिंग एसोशिएसन के अनुसार- ‘‘विज्ञापन एक जाने पहचाने प्रस्तुतकर्ता द्वारा अपना व्यय करके की गई र्निव्यक्तिक प्रस्तुति है एवं विचारों, सेवाओं एवं वस्तुओं का संवर्धन है।"
- विख्यात विज्ञापन विशेषज्ञ शैल्डन के अनुसार- ‘‘विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिससे मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय करने, उसकी ख्याति व साख निर्माण में सहायता मिलती है।
- एम्बर्ट के अनुसार- “विज्ञापन एक ऐसी विद्या है जिसमें विपणन पारम्परिक ढंग से हटकर किया जाता है।"
अतः विज्ञापन एक ऐसा साधन है जिसके लिए समुचित व्यय करके अपने विचार, वस्तु या सेवा के प्रति जनाकर्षण उत्पन्न कर उसके प्रति जिज्ञासा और ललक लगाई जाती है तथा अपने विचार, वस्तु या सेवा की क्रय शक्ति का विस्तार किया जाता है। विज्ञापन के उदाहरण की बात करे तो अनेकों विज्ञापन आंखों के सामने नजर आने लगते हैं। विज्ञापन वस्तु की इच्छा जाग्रत होने पर मनुष्य के मन में बड़ी तेजी से धूमने लगते है। विज्ञापन ही मनुष्य की उस जाग्रत इच्छा कों शान्त करने में सहायक बनते है। विज्ञापन उपभोक्ता के साथ-साथ उत्पादक के लिए भी बाजार में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
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