मानव जीवन में विविधताओं का भंडार है। खाना-पीना हो या कपड़ा पहनना, मित्र बनाना हो या मनोरंजन करना, पढ़ना-लिखना हो या सफर करना... सभी जगह विविधा उपलब्ध है। इसीलिए कहा जाता है कि-‘विभिन्नता में ही जीवन का रस है।‘ यहीं हाल टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों का भी है, क्योंकि टेलीविजन ऑन करने के बाद चैनल बदलते ही कार्यक्रम भी बदल जाते हैं। यहीं कारण है कि परिवार के सदस्य टेलीविजन का रिमोट बार-बार एक दूसरे से लेने का प्रयास करते हैं। कई बार एक ही समय में मां की पसंद का भजन-कीर्तन, बहन की पंसद का धारावाहिक, पिता के पसंद का समाचार और भाई के पसंद का क्रिकेट मैच प्रसारित होता है। ऐसी स्थिति में किसी एक को ही अपने पसंद का कार्यक्रम देखने को मिलता है तथा अन्य को नहीं।
इस प्रकार, टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में विविधता होती है। कुछ कार्यक्रम निर्माता-निर्देशक के कल्पना की उपज होते हैं तो कुछ कार्यक्रम जीवन के यथार्थ का अनुभव कराने वाले। कुछ कार्यक्रम सच्ची घटनाओं पर आधारित होते हैं तो कुछ कार्यक्रम वास्तविकता और कल्पना का मिश्रण होता है। इस आधार पर टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के निम्नलिखित प्रकार हैं:-
(A) निर्माण के आधार पर
- फिक्शन प्रोग्राम (Fiction Program) : टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले वे कार्यक्रम जो काल्पनिक कहानियों, पात्रों और घटनाओं पर आधारित होते हैं, उन्हें फिक्शन प्रोग्राम कहते हैं। ऐसे प्रोग्राम दर्शकों को एक काल्पनिक दुनिया में ले जाते हैं, जो कहानी लेखकों की रचनात्मकता और कल्पना पर आधारित होते है। फिक्शन प्रोग्रामिंग का उद्देश्य मुख्य रूप से मनोरंजन करना होता है, हालांकि यह सामाजिक मुद्दों को उठाने, भावनात्मक प्रभाव डालने तथा दर्शकों को प्रेरित करने का भी काम कर सकता है। टेलीविजन पर दीर्घकाल तक प्रसारित होने वाले धारावाहिक- ताड़क मेहता का उल्टा चश्मा (सब टीवी), ये रिश्ता क्या कहलाता है (स्टार प्लस), पवित्र रिश्ता (जी टीवी), हमलोग, घर एक मदिर, क्योंकि सास भी कभी बहू थी (दूरदर्शन) इत्यादि टेलीविजन पर दीर्घकाल तक प्रसारित होने वाले फिक्शन प्रोग्राम हैं। ऐसे फिक्शन प्रोग्राम दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़कर तनाव को कम करने, हँसी प्रदान करने और सामाजिक संदेश देने में सक्षम होते हैं।
- नॉन-फिक्शन प्रोग्राम (Non-Fiction Program) : टेलीविजन पर ऐसे कार्यक्रम भी प्रसारित किये जाते है जो देश-दुनिया व पास-पड़ोस में होने वाली सच्ची घटनाओं पर आधारित होते हैं, जो वास्तविक आंकड़ों और तथ्यों को प्रस्तुत करते हैं। इन कार्यक्रमों के प्रसारण का उद्देश्य समकालीन मुद्दों पर दर्शकों को शिक्षित करना होता हैं। ऐसे कार्यक्रमों को नॉन-फिक्शन प्रोग्राम कहते हैं। डॉक्यूमेंट्री, चैट शो, गीत-संगीत, नृत्य-शो, खेलकूद के कार्यक्रम, क्विज-शो, साक्षात्कार, परिचर्चा इत्यादि नॉन-फिक्शन प्रोग्राम हैं। नॉन-फिक्शन प्रोग्राम की रिकार्डिंग वास्तविक लोकेशन पर की जाती है, जो दर्शकों को वास्तविक दुनिया से जोड़ते हैं।
- मिक्स्ड प्रोग्राम (Mixed Program): टेलीविजन पर कूुछ ऐसे कार्यक्रम भी प्रसारित होते हैं, जिनमें यर्थाथ के साथ-साथ कल्पना का मिश्रण भी होता है। ऐसे कार्यक्रमों को मिश्रित कार्यक्रम कहते हैं। जी टीवी पर प्रसारित धारावाहिक ‘जोधा अकबर‘ मिश्रित कार्यक्रम है, जिसका आधार भारतीय इतिहास है। यह बात अलग है कि दर्शको का मनोरंजन करने के लिए उसका काल्पनिक अभिनय किया गया है। दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण, महाभारत, श्रीकृष्ण इत्यादि मिश्रित कार्यक्रम के उदाहरण हैं।
(B) प्रस्तुति के आधार पर
- लाइव प्रोग्राम (Live Program) : अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘लाइव‘ का शाब्दिक अर्थ ‘सीधा‘ होता है। टेलीविजन प्रसारण के क्षेत्र में लाइव का तात्पर्य भी सीधा प्रसारण ही होता है। लाइव प्रसारण में ओबी वैन (आउट ब्राडकास्टिंग वैन) का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक छोटे से वाहन के ऊपर छतरी लगी होती है तथा अंदर टेलीविजन प्रसारण का सामान रखा होता है, जिसके माध्यम से कैमरे के सामने के दृश्य को सीधा टेलीविजन स्क्रीन पर प्रसारित किया जाता है। वर्तमान समय में ओबी वैन की सहायता से क्रिकेट मैच, लालकिला के प्राचीर से प्रधानमंत्री के अभिभाषण, राजनीतिक दलों, केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों व जिम्मेदार व्यक्तियों के प्रेस कॉन्फ्रेेस का लाइव प्रसारण किया जाता है। ऐसे कार्यक्रमों को लाइव कार्यक्रम कहा जाता है।
- पैकेज्ड प्रोग्राम (Packaged Program) : वर्तमान समय में टेलीविजन चैनलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण पैकेज्ड कार्यक्रमों का महत्व बढ़ गया है। पैकेज्ड से तात्पर्य किसी कार्यक्रम को सजाकर टेलीविजन स्क्रीन पर प्रदर्शित करना है, क्योंकि प्रारंभ में टेलीविजन पर कार्यक्रमों का प्रसारण बड़े ही सामान्य तरीके से किया जाता था। एक सादे मेज के सामने बैठकर एंकर समाचार को पढ़ मात्र देता था, किन्तु वर्तमान समय में ऐसा नहीं है। न्यू तकनीकी के आगमन के कारण समाचार ही नहीं अपितु सभी कार्यक्रमों को सजाने-सवारने के बाद दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इसमें रंग, सिग्नेचर ट्यून, स्क्रिप्ट तथा वीडियो फुटेज का विशेष योगदान होता है।
- मिक्स्ड प्रोग्राम (Mixed Program) : टेलीविजन पर कुछ ऐसी प्रस्तुति भी होती हैं, जिनमें लाइव और पैकेज्ड तत्वों का संयोजन होता है। ऐसी प्रस्तुति को मिक्स्ड प्रोग्राम कहते हैं। यह प्रोग्रामिंग दर्शकों को दोनों का सर्वश्रेष्ठ अनुभव कराते हैं, क्योंकि इनमें लाइव की तात्कालिकता और पैकेज्ड की गुणवत्ता होती है। रियलिटी शो इंडियन आइडियन मिक्स्ड प्रोग्राम का उदाहरण है, क्योंकि इसमें लाइव परफॉर्मेंस के साथ-साथ पहले से रिकॉर्डेड बैकग्राउंड स्टोरीज़ भी होती हैं। मिक्स्ड प्रोग्राम दर्शकों को एक गतिशील और आकर्षक अनुभव प्रदान करते हैं। यह लाइव की ताज़गी और पैकेज्ड की पॉलिश्ड प्रस्तुति को मिलाकर दर्शकों को बांधते है।
टेलीविजन प्रोग्रामों की विविधता, चाहे वह प्रकृति (फिक्शन, नॉन-फिक्शन, मिक्स्ड) के आधार पर हो या प्रस्तुति (लाइव, पैकेज्ड, मिक्स्ड) के आधार पर दर्शकों को मनोरंजन, शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करते है। फिक्शन प्रोग्राम्स दर्शकों को काल्पनिक दुनिया में ले जाते हैं, नॉन-फिक्शन वास्तविकता से जोड़ते हैं और मिक्स्ड दोनों का संतुलन बनाते हैं। इसी तरह, लाइव प्रोग्रामिंग तात्कालिकता और उत्साह प्रदान करती है, पैकेज्ड प्रोग्रामिंग गुणवत्ता व नियंत्रण सुनिश्चित करती है। मिक्स्ड प्रोग्राम दोनों का सर्वश्रेष्ठ मिश्रण होता है। यह विविधता सुनिश्चित करती है कि हर दर्शक के लिए टेलीविजन पर कुछ न कुछ है।
